पीड़ित व्यक्ति महेंद्र गोराइ ने अपने मुआवजा हेतु कोट शरण में जाने को विवश।

पीड़ित व्यक्ति महेंद्र गोराइ ने अपने मुआवजा हेतु कोट शरण में जाने को विवश।

पीड़िता ने मुआवजा हेतु पंचायत से जिला पदाधिकारी तक गुहार लगाई नहीं मिली न्याय।

नीमडीह प़्रखंड के पाथरडीह निवासी महेंद्र गोराइ ने सड़क चौड़ीकरण की मुआवजा हेतु पंचायत से जिला पदाधिकारी से गुहार लगाई। लेकिन आज तक न्याय नहीं मिला। महेंद्र गोराइ ने न्याय के लिए कोट जाने का का विचार कर रहे हैं। महेंद्र गोराइ का कहना है कि लुपुंगडीह गांव में दोनों पक्ष समझौता हुआ था। जिसमें एक पक्ष ने फर्जी जमीन केवला कर जमीन का मुआवजा राशि हड़प लिया है , समझौता में अपनी ग़लती स्वीकार करने के बाद भी मुआवजा  राशि वापस नहीं किया ।  पीड़िता मेहन्द्र गोराइ को आज तक मुआवजा नहीं मिला।इस संबंध में महेंद्र गोराइ का कहना है कि एन एच 32 टाटा पुरूलिया मार्ग के चौड़ीकरण में टोल ब्रीज निर्माण हेतु लुपंगडीह जमीन अधिग्रहण की थी। जमीन अधिग्रहण की मुआवजा लखीकांत गोराइ,प्रकाश गोराइ ने हेराफेरी करके सड़क की मुआवजा ले लिया है। महेंद्र गोराइ को पाता चला की उक्त जमीन कि मेरा जमीन के मुआवजे रशि में हेराफेरी की गई। घटना के संबंध में पीड़िता ने कहा कि नीमडीह अंचल में दिनांक  29-12-23 को दाखिल खरिज हेतु डीड नम्बर 4853 आया था। जिसका आवेदन संख्या 2811 था। इसके बाद महेंद्र गोराइ ने अंचल से जिला पदाधिकारी को फर्जी डीड को रद्द करने की गुहार लगाते रहे। महेंद्र गोराइ ने कहा की इस कार्य में लखीकांत गोराइ और प्रकाश गोराइ 0.5डीसमिल जमीन की मुआवजा हेतु पांच लाख 44हजार 619 रुपऐ था। लखीकांत गोराइ, प्रकार गोराइ ने जाली वंशवादी तथा आधार कार्ड में हेराफेरी कर अपनी मां कामनी देवी के नाम से भी अर्जन विभाग से उक्त राशि निकल ली। लखीकांत गोराइ और प्रकाश गोराइ ने सोची समझी ‌चाल चलकर  दोनों भाई अपने अपने पत्नी के नाम से जमीन का राजिस्टेशन 29-12-23को सरायकेला की गई।इस तरह से जमीन के मुआवजे को हड़पने की चाल खेला गया। लखीकांत गोराइ प्रकाश गोराइ दोनो भाई अपने अपने पत्नी अंजलि देवी और लाली देवी के नाम से उक्त जमीन को हड़पने हेतु जमीन का रजिस्ट्रेशन करवा था। दोनों पक्ष में 31-03-24 गाव में समझौता हुआ। जिसमें दोनों भाई ने जालसाजी, हेराफेरी की बात स्वीकार लिया।डीड को रद्द करने और‌ उक्त राशि को वापस करने की बात स्वीकार भी था। लेकिन पीड़िता को गांव की समझौता भी मुआवजा नहीं दिलाई।इस प्रकार से पीड़िता ने सभी तरफ से हार कर कोट की शरण में जाने का मन बनाया।

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