52 मौजा के पारम्परिक ग्राम सभाओं के प्रमुख पारगाना बाबा शिलु सारना टुडू की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई ।



52 मौजा के पारम्परिक ग्राम सभाओं के प्रमुख पारगाना बाबा शिलु सारना टुडू की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई ।

चांडिल ,पातकोम दिशोम (चांडिल अनुमंडल के)चामदा पिड़ ( ईचागढ़ प्रखंड अंतर्गत) क्षेत्र की एक आपातकालीन बैठक स्थान - मौजा- गौरांगकोचा अवस्थित चामदा पिड़ पारगाना कार्यालय में चामदा पिड़ के 52 मौजा के पारम्परिक ग्राम सभाओं के प्रमुख पारगाना बाबा शिलु सारना टुडू की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई ।

 बैठक में चर्चा का मुख्य बिंदु :-. लोकसभा चुनाव 2024 में आदिवासी समाज की भागीदारी सुनिश्चित करने एवं आदिवासी अधिकार /आदिवासी मुद्दों के सम्बन्ध में ।आज की बैठक में काफी चर्चा के उपरांत उपस्थित समाज के माझी/पारगाना बाबाओं व वक्ताओं ने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से देश को संचालित करने के लिए देश आजादी के बाद से आज तक देश में कोई बार केन्द्र में सरकार बनी, पर आज तक देश की केन्द्र सरकारों ने अब तक आदिवासियों को केवल अपना वोट के रूप में समझा चाहे कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार हो या भाजपा नेतृत्व वाली सरकार ।दुर्भाग्य इस बात है कि उन केन्द्र की सरकारों ने अबतक तक आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार के अनुरूप आदिवासियों का विकास नहीं किया, जिसका नतीजा आज भी आदिवासी समाज आजाद भारत देश में गुलामी की जिंदगी जी रहे हैं एवं आदिवासी समाज अपनी संवैधानिक अधिकार के लिए लड़ाई लड़ने पर मजबूर हैं । यह कि संविधान निर्माताओं ने भारत का संविधान पांचवीं व छठवीं अनुसूची में आदिवासियों को विशेष अधिकार देकर सुरक्षित रखा गया है ताकि देश के कमजोर आदिवासियों का भी विकास उन्नति व कल्याण हो सकें ।lपरंतु देश कि केन्द्र सरकारों ने आज तक आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार पांचवीं व छठवीं अनुसूची के प्रावधानों पर ना ही कभी चर्चा किया और ना ही संवैधानिक अधिकारों  को लागू करने का प्रयास किया ।आदिवासियों की भूमि रक्षा के लिए क्षेत्रीय कानून CNT/SPT act जैसी कानून रहने के वावजूद जबरन आदिवासी जमीन को फर्जी तरीके से गैर आदिवासी पूंजीपति, कारपोरेट,कंपनीयों को दिया जा रहा है ।संविधान के पांचवीं व छठवीं अनुसूची में आदिवासियों की अपनी पारंपरिक ग्राम सभाओं का विशेष अधिकार है परंतु संविधान बनाने के बाद आज तक ना ही ग्राम सभाओं को अपनी अधिकार दिया गया ना ही उन्हें तरजीह दिए गए ।

# आदिवासी अधिकार व आदिवासी जमीन सुरक्षा के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय के समता जजमेंट,पी रम्मी रेड्डी जजमेंट वेदांता जजमेंट एवं सुप्रीम कोर्ट के कोई जजमेंट के स्पष्ट आदेशों के वावजूद गैर कानूनी तरीके से आदिवासी को अपनी जल, जंगल व जमीन से बेदखल किया जा रहा है और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने पर फर्जी मामला दर्ज कर जेलों में बंद किया जा रहा है ।इसलिए इस बार वर्ष 2024 देश कि लोकसभा चुनाव को आदिवासी समाज एक आंदोलन के रूप में मानती है एवं निम्नलिखित आदिवासी मुद्दों/ आदिवासी अधिकार को अनुपालन व लागू करने के लिए देश कि लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक संख्या में हिस्सा लेंगे :-1. आदिवासी समाज भारत का संविधान की रक्षा के लिए वोट करेंगे । 2. आदिवासी संविधान में प्रदत्त अधिकार पांचवीं व छठवीं अनुसूची को लागू कराने के लिए वोट करेंगे । 3. आदिवसी समाज सरना धर्म कोड़ मंजूरी के लिए वोट करेंगे ।4. आदिवासी समाज अपनी सामाजिक पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था की रक्षा के लिए वोट करेंगे ।5. आदिवासी समाज अपनी जल, जंगल व जमीन के संरक्षण में माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले समता जजमेंट 1997 पी रम्मी रेड्डी जजमेंट 1988 वेदांता जजमेंट आदि शक्ति से अनुपालन के लिए वोट करेंगे ।6. संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल संथाली भाषा चिकी  में सभी स्कूल/ कालेजों में पठन पाठन सुनिश्चित करने एवं सभी क्षेत्रीय भाषा में पठन /पाठन सुनिश्चित करने एवं आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए वोट करेंगे ।अंत में आदिवासी समाज ने यह निर्णय लिया कि उल्लेखनीय आदिवासी अधिकार/आदिवासी मुद्दों पर जो पाटी या प्रत्याशी सदन के माध्यम से लागू कराने या अनुपालन कराने की विश्वास पूर्ण 100% गारंटी देंगी उसी प्रत्याशी या पाटी को रांची लोकसभा क्षेत्र से आदिवासी समाज समर्थन करेंगे ।


बैठक में मुख्य रूप से धनेश्वर मुर्मू, शक्तिपद हांसदा, स्यामचंद किस्कू, बुद्धेश्वर किस्कू, महावीर हांसदा, दुबराज बेसरा, मधु हेमब्रम, बाधिया सोरेन, रासबिहारी सोरेन, गोबिन बेसरा, चरण माझी, किरण माझी, विश्वकर्मा बेसरा,नरेन बेसरा, सूदन हेमब्रम, अजीत मुर्मू नाईके, लंबोधर हांसदा आदि उपस्थित थे।

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