सुचना अधिकार को भी नजरंदाज किया जा रहा है। पीड़ित विस्थापित,
चांडिल,संवैधानिक व मौलिक अधिकारों को छीनने वाले लुटेरा सरकार कोर्ट आदेश को भी अवहेलना कर विस्थापित गरीबों को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं ।
अब भी SMP के हर डिविजन , हर कांप्लेक्स या भू -अर्जन एवम पुनर्वास से संबंधित हर जगह लूट और धांधली बरकरार है।
सरकारी नियम के अनुरूप पालन नहीं हो रही है। नेता मंत्री भ्रष्टाचारी कर्मचारी ठिकेदार दलाल लुटेरा सब के सब खा पीके मस्त मगन रहते है केबल जनता सेवा के नाम पर । सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा - 6 ( 1 ) के अधीन सूचना अभिप्राप्त करने को लेकर गत दिनांक - 06 / 09 / 2024 को विस्थापितों द्वारा ( मांगे गए ) छह बिंदु मांग पर SMP प्रशासक कार्यालय के आदेश चिट्ठी भेजने के बावजूद उपलब्ध नहीं करवाने का मुख्य कारण यह है कि अपर निर्देशक कार्यालय आदित्यपुर जमशेदपुर अंतर्गत पुनर्वास कार्यालय यानी लूट कार्यालय संख्या - 2 चांडिल में हुए लूट तथा बनाए गए दलाली हेराफेरी
द्वारा अवैध तरीके से फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे बड़ी संख्या मे बने विकास पुस्तिका मे धांधली गड़बड़ियों को छुपाने का पूरे जोर कोशिश है । यहां आधा शेयर मे विकास पुस्तिका बनाने का धांधली ही नही बल्कि विस्थापित नौकरी बेचने से लेकर और भी बहुत सारे हुए गड़बड़ी धंधा को उजागर न होने देने का भरपूर प्रयास है । पुनर्वास लूट कार्यालय संख्या - 2 चांडिल मे अभी भी केवल दलालों का जमावड़ा लगा रहता है। गलत ढंग से हेराफेरी कर दलालों का कमाई इतना अधिक बड़ गया है कि विस्थापितों का हैसियत से मिले नौकरी का कमाई उन सब के मुकाबले पीछे छोड़ दिया है । आय से अधिक संपत्ति अर्जित कर हर कर्मचारी व ग्रामीण दलाल मालामाल बना हुआ है ,बिस्थापीतो का
दयनीय स्थिति को देखते हुए अब विस्थापित जानताओ ने विभागीय सचिव एवम SMP प्रशासक से मांग करती है कि एक सप्ताह के अंदर विस्थापित जनता व हाई कोर्ट वकील के उपस्थिति मे जनता तरफ से जो भी भ्रष्टाचारी सबूत अकटठा किए गए हैं प्रमाणित दस्तावेजों को सार्वजनिक पेश करने को लेकर विभागीय मध्यस्थता बैठक बुलाया जाय। ताकि कहा किस प्रकार का धांधली हुई लूट हुई सारा दस्तावेज प्रमाण के साथ संपूर्ण अवगत करवाया जा सके ,और जांच मे दोषी पाए गए कर्मचारियों के उपर 24 घंटा के अंदर कानूनी कार्रवाई कर सजा दिया जाय । अन्यथा तुरंत उसी समय उपस्थित हाई कोर्ट के वकील द्वारा पुन: ( याचिका दायर ) केस दर्ज करने मे बाद्ध हो जायेंगे । चाहे कितनो भी कोर्ट फैसला को अपमान अवहेलना क्यों न - हो । इस बार का फैसला दूध का दूध पानी का पानी हो के ही रहेगा ।
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