नारायण आई टी आई लुपुंगडीह शिक्षा परिसर में महान पुरुष की जंयती मनाई गई।

25 दिसम्बर को नारायण आई टी आई लुपुंगडीह शिक्षा परिसर में महान पुरुष की जंयती मनाई गई।








चांडिल,25 दिसम्बर को नारायण प्राइवेट आईटीआई  लुपुंगडीह चांडिल में महान पुरुष अटल बिहारी वाजपेई और निर्मल महतो की जयंती मनाई गई। और उनके तस्वीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक डॉक्टर जटाशंकर पांडे जी ने कहा की भारत के तीन बार के प्रधानमन्त्री थे। वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक, तथा फिर 1998 में और फिर19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमन्त्री रहे।वे हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे, और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्‍ट्रधर्म, पाञ्चजन्य (पत्र) और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।वह चार दशकों से भारतीय संसद के सदस्य थे, लोकसभा, निचले सदन, दस बार, और दो बार राज्य सभा, ऊपरी सदन में चुने गए थे। उन्होंने लखनऊ के लिए संसद सदस्य के रूप में कार्य किया, 2009 तक उत्तर प्रदेश जब स्वास्थ्य सम्बन्धी चिन्ताओं के कारण सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्त हुए। अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ करने वाले वाजपेयी राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 वर्ष बिना किसी समस्या के पूरे किए। आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेने के कारण इन्हे भीष्मपितामह भी कहा जाता है। उन्होंने 24 दलों के गठबन्धन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे।और निर्मल महतो का जन्म 25 दिसंबर 1950 ई को झारखंड राज्य के सिंहभूम जिले के गॉंव उलिआन, जमशेदपुर में हुआ था। वह जगबंधु महतो और पिरिआ बाला महतो के चौथे पुत्र थे।सूदखोरों के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले निर्मल महतो ने झारखंड अलग राज्य के लिए चलाये गये आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। झारखण्ड के दिशोम गुरु शिबू सोरेन इनके आक्रामक छवि से काफी प्रभावित थे। निर्मल महतो ने झारखंड के लिए आंदोलन चलाया था और सूदखोरों के खिलाफ आंदोलन किया था। उन्होंने झारखंड के सबसे बड़े छात्र संगठन ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) का गठन किया। झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने इनकी आंदोलनकारी छवि को देखते हुए, उनको 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में शामिल किया।इस अवसर मुख्य रूप से उपस्थित थे एडवोकेट निखिल कुमार, सुदिस्ट कुमार,शांति राम महतो, कृष्णा पद महतो, देव कृष्ण महतो,पवन महतो, अजय मंडल ,आदि मौजूद रहे

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