देश के पुर्व प्रधानमंत्री सह अर्थशास्त्री डॉ मनमोहन सिंह का निधन पर शोकाकुल वाशी।
नहीं रहे भारतीय अर्थव्यवस्था के `भीष्म पितामह`... इकोनॉमिक्स प्रोफेसर से प्रधानमंत्री तक का ऐसा रहा सफर।देश के पुर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का निर्धन हुआ।92 साल की उम्र में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री डॉ.मनमोहन सिंह जी का निधन हो गया. भारतीय राजनीति और आर्थिक सुधारों में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा. 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण की राह पर ले जाने वाले डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता. उन्होंने दो कार्यकाल (2004-2014) तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की और देश के विकास में अहम भूमिका निभाई।
2004 में डॉ. मनमोहन सिंह भारत के 13वें प्रधानमंत्री बने. वे देश के पहले सिख प्रधानमंत्री थे. उनके नेतृत्व में भारत ने आर्थिक विकास के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी अपनी छवि को मजबूत किया. उनके कार्यकाल में सूचना प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव हुए. 2010 में उन्हें सऊदी अरब के 'ऑर्डर ऑफ किंग अब्दुलअजीज' और 2014 में जापान के 'ग्रैंड कॉर्डन ऑफ द ऑर्डर ऑफ द पॉलोनिया फ्लावर्स' से सम्मानित किया गया।
1987 में उन्हें भारत सरकार ने 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया. उनके नाम पर कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दर्ज हैं. डॉ. मनमोहन सिंह अपने सादगीपूर्ण जीवन और ईमानदार छवि के लिए हमेशा जाने जाते रहेंगे. उन्होंने हमेशा देश की प्रगति और आम जनता के हित को प्राथमिकता दी. उनका निधन भारत के लिए एक बड़ी क्षति है. वे एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने न केवल भारत को आर्थिक संकट से उबारा बल्कि एक समृद्ध और स्थिर देश की नींव भी रखी. बहुत से यादों के साथ उन्हें इसलिए भी याद रखा जाएगा की वे भारत के अंतिम प्रधानमंत्री थे जिन्होंने जनवरी 2014 में सार्वजनिक प्रेस कांफ्रेंस किया था और दुनिया भर के 100 संवाददाताओं 67 प्रश्नों का उत्तर दिया था.उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा. उन्होंने कम बोला लेकिन झूठ नहीं बोला।
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