डॉ भीमराव अम्बेडकर की 134, वां जंयती मनाई। चांडिल अनुमण्डल बार एसोसिएशन भवन चाण्डिल में

नारायण आइ टी आई ,बार एसोसिएशन, जे के पी सदस्य चांडिल द्वारा डॉ भीमराव अम्बेडकर की 134, वां जंयती मनाई।

 चांडिल अनुमण्डल बार एसोसिएशन भवन चाण्डिल में डॉ. भीमराव अम्बेडकर  की 134वां जयंती के उपलक्ष्य पर  बद्री प्रसाद साहु के अध्यक्षता में उनके चित्र पट पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। भीमराव रामजी आम्बेडकर (14 अप्रैल 1891 – 6 दिसंबर 1956), डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, लेखक और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से होने वाले सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था।बाबासाहेब ने तीन मंत्र दिए हैं - शिक्षित बनो, संघर्ष करो और संगठित रहो।संचालन सचिव महेन्द्र कुमार महतो के द्वारा किया गया। जिसमें मुख्य रूप से प्रथम अविभाषण  गोवर्धन महतो ने  अभिभाषण की कार्यक्रम की शुरुआत की गयी। इस अभिभाषण में अधिवक्ता  सुभाष चन्द्र माहतो, श्री कमल काल महतो, श्रपिशिवेश्वर महतो, कमलेश सिंह, विश्वनाथ कालिंदी,  अमित चक्रवर्ती, परमेश्वर भगत, लाल बाबु,  संजीव कुमार सिंह पातर,  अशोक कुमार झा, मंगल सिंह मुण्डा, गुरुचरण महतो,। उक्त कार्यक्रम में सचिव  महेन्द्र कुमार महतो ने कहा कि संविधान विस्तार क्षेत्र के आधार पर हमेरे अनुमण्डलीय न्यायालय, चाण्डिल को पूर्ण रूप से सभी विभाग का कार्यक्रम कार्यालय स्थापित करने का प्रयास करेंगे।इस कार्यक्रम में समापन भाषण  बद्री प्रसाद साहू ने संबोधन कर समापन किया। जिसमें मुख्य रूप से अधिवक्ता  विदुश्रूषण महतो, मनोरथ माझी तथा दिलीप कुमार महतो उपस्थित थे। डा भीम राव अममहान विचारक का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के 'महू' नामक स्थान पर हुआ था, जिसे अब डॉ. भीमराव अम्बेडकर कर नगर के नाम से जाना जाता है। बाबा साहेब अंबेडकर जाति से दलित थे।उस समय की सामाजिक व्यवस्था में उन्हें छुआ छुते समाज में प्रचलित था। उनको'अछूत' माना जाता था। इस कारण उनका बचपन अनेक कठिनाइयों और समाजिक भेदभाव से भरा रहा।


लुपुंगडीह आइ टी आई शिक्षा संस्थान में भी जंयती मनाई गई।


नारायण आइ टी आई शिक्षा संस्थान में देश के संविधान निर्माता, समाज सुधारक,डॉ.भीम राव अम्बेडकर की 134, वां जंयती मनाई गई।इस अवसर पर शिक्षा संस्थान के शिक्षक, संस्थापक जटा शंकर पाण्डेय ने उनके चित्र पट पर माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित की। इसके बाद उनके जीवनकाल की बीते घटना पर प्रकाश डालते हुए कहा जीवन में शिक्षित होना,सर्धष करना, संगठित होने पर ही सफलता मिलती है। उनके जीवन यही प्रेरणा मिलती है।


मातकमडीह पंचायत भवन में बाबा साहेब को याद किया गया।

झारखंड किसान परिषद के कार्यकर्ताओं एवं सदस्यों के द्वारा मातकमडीह पंचायत भवन प्रखंड नीमडीह सरायकेला में डा भीमराव अम्बेडकर की 134वीं जयंती मनाई गई।इस अवसर पर मुख्य रुप से रंजित माहुली, भुंटी सिंह, सुनील सिंह, सचिन सिंह, तरुण प्रामाणिक, दीपक कुमार महतो, सिदाम दास, जय राम सिंह सरदार, उमाकांत, एवं रबि उपस्थित थे। इस अवसर पर रबि, उमाकांत, और तरुण प्रामाणिक ने भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर की जीवनी पर प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि किस प्रकार डॉ अम्बेडकर ने दिन रात अथक प्रयास कर भारत के संविधान को मूर्त रुप दिया। इसीलिए डॉ भीमराव अम्बेडकर को भारत के संविधान का मुख्य शिल्पकार कहा गया है। न केवल संविधान निर्मान के क्षेत्र में, बल्कि देश में जातिवाद, छुआछूत उन्मुलन के लिए जीवन भर संघर्ष किया। दलितों , पिछड़ों और आदिवासियों के उत्थान के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन संघर्ष में समर्पित कर दिया। रंजित माहुली ने धन्यवाद ज्ञापन किया। जय राम सिंह सरदार ने इस कार्यक्रम का संचालन किया। 


   

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