चांडिल,गर्मी के दिन चांडिल डेम हाथी के जलक्रीड़ा प्रर्यटको के लिए आकर्षक का केंद्र बिंदु बना।
दुसरे ओर गांव वासी को अपने गांव जाने में परेशानी बढ़ी,वन विभाग मुवमेंट पर निगरानी कर रही है
चांडिल :दलमा से गजों की पलायन ओर ईचागढ़ में डेरा डालना , वाइल्ड हाथी की झुंड पहुंचे चांडिल डैम जलाशय में जलक्रीड़ा करते देख पर्यटकों ने किया खुशी जाहिर।
संनद् रहे की कोल्हान के एक ही मात्र सेंचुरी जो चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के दलमा वन्यजीव आश्रयणी के नाम से जाना जाता । जहां प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में पर्यटक सेंचुरी में भ्रमण करने पहुंचते हे। जहां 193.22 वर्ग क्षेत्र फल में फैले हुए हे । दलमा गज परियोजना से में (गजों) हाथियों की संख्या में कमी आई है, और पिछले पांच साल से इस क्षेत्र में एक भी हाथी नहीं देखा गया है। पश्चिम बंगाल उड़ीसा उड़ीसा आदि राज्यों से गजों की भीषण गर्मी प्रवेश कर जाते परंतु एक दिन बाद हाथी की झुंड सेंचुरी छोड़कर ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र के चारों प्रखंड में डेरा डाला हुआ हे।चार से पांचों दिनों से हाथी की झुंड चांडिल डैम जलाशय पहुंचे और डेरा डाला हुआ हे। चांडिल नौका बिहार करने पहुंचे पर्यटकों की शैलानी ने हाथी की झुंड को जलक्रीड़ा करते देखा कर खुशी जाहिर करते हैं।लोगो का कहना हे हमे पालतू हाथी देखने को मिला था इस तरह वाइल्ड लाइफ की हाथी को नजदीकी से देखना एक अलग ही अनुभव मिला हे।
दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के विभाग ने पिछले साल हाथियों की जनगणना की है, जिसमें दलमा में हाथियों की संख्या 89 बताई गई है, लेकिन वास्तविकता यह है कि हाथी ,गज परियोजना क्षेत्र से दूर हो गए हैं।
*हाथियों के मूवमेंट पर वन विभाग का कहना है:*- जिले के कई हिस्सों में उत्पात मचा रहे हाथियों में पश्चिम बंगाल से खदेड़े गए हाथियों के साथ ही दलमा छोड़ चुके हाथी भी शामिल हैं।
जिले में उत्पात मचा रहे हाथियों की संख्या लगभग 200 के आसपास है, जिनमें से कुछ हाथी दलमा से पश्चिम दिशा की ओर चांडिल व पटमदा में भी पहुंच गए हैं।
*दलमा अभयारण्य की विशेषताएं:* दलमा अभयारण्य करीब 193.22 वर्ग किमी में फैला हुआ है, जिसमें से एक हिस्सा पश्चिम बंगाल में आता है।
इस अभयारण्य के बाजू से निकले एनएच-33 के दोनों किनारों पर इको सेंसटिव जोन में सैकड़ों मकान और अन्य निर्माण हैं।
*वन विभाग की चिंता:* वन विभाग हाथियों के आने का इंतजार कर रही है, और उनकी सुरक्षा के लिए प्रयास कर रही है। हाथियों के मूवमेंट पर नजर रखने के लिए वन विभाग की टीम काम कर रही है ।अब दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में रॉयल बंगाल टाईगर उड़ीसा शिमलिपाल रिजर्व से आए टाईगर अब गज परियोजना में डेरा डाला हुआ हे।
डी डब्ल्यू एल एस डीएफओ सबा आलम का कहना हे यह बाघ पलामू रिजर्व सेंटर से भटकते हुए चांडिल होते। पश्चिम बंगाल बदुवान के बाद यह बाघ दालमा सेंचुरी पहुंचे ।ओर तीन माह से डेरा डाले हुए ।दो दिन पूर्व बाघ नीमडीह थाना क्षेत्र के टेंगाडीह विट ओर रैला की तरह बाघ जाने के बाद वापस नहीं लौटे जिसे बन विभाग को चिंता सता रही ।
*किया रहा समस्या*। आपको बता दूं गजों की झुंड के साथ अब बाघों की डर लगा हुआ हे ।यह बाघ उड़ीसा राज्य शिमला पाल टाईगर रिजर्व से जंगल की मार्ग होते सरायकेला जिला के चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में पहुंचे थे।जो तीन माह से सेंचुरी में डारा डाला हुआ ।पांच दिनों से हाथी की झुंड में पांच बेबी हाथी देखा गया ।जो साम ढलते ही पानी पीने ओर जलक्रीड़ा करने पहुंच जाते डैम जलाशय में जहां घंटों भर जलक्रीड़ा करने प्रश्चात झुंड रुआनी गांव की तरफ चले जाते ओर उपद्रव मचाते हे। हाथी की झुंड आतंक रसूलिया पंचायत ,लुपुंगडीह, गुंडा पंचायत ओर तिल्ला पंचायत के दर्जनों के ग्रामीण डरे सहमे रहते हे।भोजन की तलाश में गांव में पहुंच कर उत्पात मचाते हे। जिसे ग्रामीणों ने साम ढलते ही घरों से नहीं निकलता हे। भोजन पानी की तलाश में भटकते हुए हाथी की झुंड दक्षिण पूर्व रेलवे के गुंडा बिहार स्टेशन के रसूनिया कटिंग,ओर वाना कटिंग रेलवे ट्रैक पर पार करते हुए ।देखा जाता जिसे कभी भी बड़ी दुर्घटना की संभावना बनी रहती हे।पूर्व में रेलवे ट्रैक पार करने के दौरान कोई हाथी की मौत हो गया ।वन विभाग एवं पर्यावरण विभाग साथ दक्षिण पूर्वी रेलवे की अनदेखी के कारण आज उक्त जगह में अबतक एलिफेंट कॉरिडोर नहीं बनाया गया । लेकिन एनएच 33 में कोई जगह पर एलिफेंट कॉरिडोर बनाया गया। प्रतिवर्ष वन एंब पर्यावरण विभाग को जंगल ओर वन्य जीवजंतु की सुरक्षा लिए केंद्र सरकार ओर राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपया मुहैया कराया जाता।फिर भी वन्य जीवजंतु पलायन क्यों करते हे।
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