4 नवंबर 2025 को कार्यपालक अभियंता पुनर्वास कार्यालय संख्या- 2, चांडिल गेट के सामने घरना दिया जाएगा।

4 नवंबर 2025 को कार्यपालक अभियंता पुनर्वास कार्यालय संख्या- 2, चांडिल गेट के सामने घरना दिया जाएगा।

चांडिल,नौकरी नियमावली के अनुसार रिक्त पदों पर विस्थापितों की सीधी नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाए ,तथा तृतीय श्रेणी पदों पर भी बहाली प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ हो।विस्थापित अधिकार मंच फाउंडेशन।चांडिल डैम से विस्थापित हजारों परिवारों के न्याय और अधिकार की माँग को लेकर *विस्थापित अधिकार मंच फाउंडेशनके बैनर तले।4 नवंबर 2025 को *कार्यपालक अभियंता कार्यालय एवं पुनर्वास कार्यालय संख्या-2, चांडिल गेट के सामने*

एकदिवसीय धरना प्रदर्शन सह गेट जाम आयोजित किया जा रहा है।मंच के अध्यक्ष राकेश रंजन महतो ने कहा विस्थापितों का कहना है कि *43 वर्षों* से वे न्याय और अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं।1982–83 में अधिग्रहित भूमि के बदले *नौकरी, मुआवज़ा, पुनर्वास भूखंड, अनुदान व विकास सुविधाए ,अब तक अधिकांश परिवारों को नहीं मिलीं।सरकार द्वारा अप्रैल 2025 में जारी ।क्षेत्रीय लिपिकीय पदों पर 85% विस्थापितों की सीधी नियुक्ति नियमावली, 2025,
विस्थापितों की वर्षों पुरानी माँग का परिणाम थी — परंतु छह माह बीत जाने के बाद भी नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।**
*हमारी मुख्य माँगें नौकरी नियमावली के अनुसार सभी रिक्त पदों पर विस्थापितों की सीधी नियुक्ति प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाए। तृतीय व चतुर्थ श्रेणी पदों पर मैट्रिक पास विस्थापित युवाओं के लिए भी बहाली प्रक्रिया शीघ्र चलाई जाए।सभी विस्थापित परिवारों की विकास पुस्तिका (पहचान पत्र) जारी या सुधार की जाए। RL बाध्यता समाप्त कर सभी 116 विस्थापित गांवों में विकास कार्य प्रारंभ किया जाए।*
पुनर्वास स्थलों में भूखंड आवंटन अध्यक्ष की नियुक्ति शीघ्र की
उन्होंने आगे कहा
चांडिल डैम परियोजना ने हमारे गाँव, खेत, घर और पहचान सब कुछ छीन लिया —
लेकिन वादा किए गए अधिकार* आज भी अधूरे हैं।
कई बुजुर्ग *न्याय की प्रतीक्षा में इस संसार से चले गए*,
हमारे *युवा बेरोज़गार हैं*, माताएँ अब भी *आँसुओं से अपने उजड़े घरों की याद सींच रही हैं*।
विस्थापितों की पहचान बनी *सिर्फ एक अधूरी सूची और झूठे वादों का दस्तावेज़।“सरकार की घोषणाएँ केवल कागज़ पर हैं, ज़मीन पर विस्थापितों को अब भी हक़ नहीं मिला।
यदि अब भी हम चुप रहे, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें माफ नहीं करेंगी। इसलिए 4 नवंबर को हर विस्थापित — माँ, बहन, भाई, बेटा और बुजुर्ग, चांडिल कार्यालय पहुँचे और एक स्वर में कहे — *हमारा हक़ दो, हमारी नौकरी दो, हमारा सम्मान लौटाओ!

साथ ही उन्होंने सभी विस्थापित परिवारों से अपील किए कि
वे इस ऐतिहासिक आंदोलन में शामिल होकर अपने अधिकार की लड़ाई को मज़बूती दें।



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